Considerations To Know About Shiv chaisa
Considerations To Know About Shiv chaisa
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
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लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
दुष्ट सकल shiv chalisa in hindi नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध more info जल भरकर रखें।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी